Covid 19: कौन सी चूक और गलती हुई india से,वरना आज हालात इतने खराब ना होते
Hindi News 24 अब तक भारत में कोरोना के 10,741 मामले हो चुके है। जिनमें से मरने वालों कि संख्या 360 तक चली गई है। पुरे india में लॉकडाउन ह...
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अब तक भारत में कोरोना के 10,741 मामले हो चुके है। जिनमें से मरने वालों कि संख्या 360 तक चली गई है। पुरे india में लॉकडाउन होने के बावजूद भी कोरोना के मामले बढ़ते ही जा रहे है। india की तारीफें दुनिया भर में कि जा रही है क्योंकि जो कदम india ने कोरोना के संक्रमण की चेन तोड़ने के लिए उठाये थे। वो बहुत काम के साबित हुए । लेकिन अच्छे कदमों के साथ सरकार से कुछ चूक भी हुई है। अगर समय से इन बातों का ध्यान रखा जाता तो हालात आज काबू में होते ।
इटली से आने वालों की स्क्रीनिंग में देरी
इटली से आए करीब 18 पर्यटक मार्च के महीने की शुरुआत में कोरोना से संक्रमित पाए गए थे। वहीं इटली से आए एक अन्य शख्स जिसकी वजह से भी कुछ लोगों में कोरोना फैला था। उन दिनों एयरपोर्ट पर केवल चीन, ईरान, दक्षिण कोरिया जैसे देशो से आने वाले विदेशियों की स्क्रीनिंग होती थी। परंतु उस समय धीरे-धीरे संक्रमण इटली में भी बढ़ने लगा पर सरकार ने इटली को स्क्रीनिंग में शामिल नहीं किया । खुद स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने यह माना है कि जब इटली से लौटे शख्स से कोरोना फैलने का पता चला तब जा कर हर देश से आने वालों की स्क्रीनिंग शुरू कर दी गई।
निजामुद्दीन जमात मैं जमातियों का जमावड़ा
दिल्ली के निजामुद्दीन में 18 मार्च को मरकज में तबलीगी जमात के लोगों का एक कार्यक्रम हुआ था। भारत में लॉकडाउन 24 मार्च को लागू किया गया था। परंतु स्कूल, मॉल, सिनेमाघर और पब्लिक कार्यक्रमो पर रोक पहले ही लगा दी थी । 18 मार्च को हुए कार्यक्रम में 3000 से भी अधिक लोग शामिल हुए थे। हैरानी कि बात ये है कि निजामुद्दीन थाना मरकज के बिल्कुल पास ही है। लेकिन पुलिस ने कुछ नहीं किया। कार्यक्रम खत्म हो जाने के बाद जब मरकज को खाली करवाया गया तो 2300 लोग वहां से निकाले गए। ये सब पुलिस की लापरवाही का ही नतीजा है। आज भारत में 1000 से ज्यादा मामले जमातियों के ही है ।
लॉकडाउन बिना किसी तैयारी के कर दिया
सरकार ने जो लॉकडाउन का फैसला किया वो बिलकुल सही था। पूरी दुनिया ने ये माना की कोरोना वायरस के संक्रमण की चेन को तोड़ने में लॉकडाउन बहुत ही प्रभावी रहा है। चीन ने तो पूरी तरह लॉकडाउन कर कोरोना पर बहुत अच्छे तरीके से कंट्रोल किया। मोदी सरकार ने लॉकडाउन का फैसला सरप्राइज की तरह लागू किया। एक बार हर राज्य के मुख्यमंत्री से बात कर सुरक्षा के इंतज़ाम और साथ लोगों की परेशानियां दूर करने की भी सलाह दी जाती।
लॉकडाउन के कारण सब कुछ एक दम बंद हो गया। मजदूरी करने वालो कि तो आमदनी बंद हो गई और लोग भूखे-प्यासे रहने पर मजबूर हो गए। जिस कारण लोग पैदल ही अपने घरो कि तरफ चल दिए। दिल्ली-गाजियाबाद सीमा पर भारी भीड़ जमा हो गई थी। ये सब देखने के बाद सरकार द्वारा उनके रहने की व्यवस्था, खाने-पीने की व्यवस्था और मकान मालिकों से किराया ना वसूलने के लिए कहा गया, ये सब थोड़ा पहले हो जाता है, तो कोई परेशानी नहीं होती।
अब तक पर्याप्त व्यवस्था में टेस्टिंग नहीं
भारत इस समय करोना टेस्टिंग में बहुत पिछे है। यहाँ केवल विदेश से आए लोगो और ऐसे शख्स जो कोरोना पॉजिटिव मरीज कि आस-पास या सीधे संपर्क में आया हो।
ऐसे लोगों की भी कुछ जगहों पर जांच हो रही है, जिनमें सर्दी, जुकाम या सांस लेने की तकलीफ जैसे लक्षण दिख रहे हैं। इस वक्त बड़े लेवल पर टेस्टिंग की जरूरत है। सबसे बड़ी चुनौती है भारत की आबादी है। क्योंकि इसके लक्षण दिखने में 7-14 दिन लग सकते हैं और कुछ लोगों में इसके लक्षण दिखते ही नहीं और वह बीमार होकर ठीक भी हो जाते हैं। लेकिन हो सकता है कि इस बीच वह दूसरों को संक्रमित कर चुके हों।दक्षिण कोरिया ने सिर्फ टेस्टिंग के दम पर ही कोरोना पर काबू पा लिया।
अब तक भारत में कोरोना के 10,741 मामले हो चुके है। जिनमें से मरने वालों कि संख्या 360 तक चली गई है। पुरे india में लॉकडाउन होने के बावजूद भी कोरोना के मामले बढ़ते ही जा रहे है। india की तारीफें दुनिया भर में कि जा रही है क्योंकि जो कदम india ने कोरोना के संक्रमण की चेन तोड़ने के लिए उठाये थे। वो बहुत काम के साबित हुए । लेकिन अच्छे कदमों के साथ सरकार से कुछ चूक भी हुई है। अगर समय से इन बातों का ध्यान रखा जाता तो हालात आज काबू में होते ।
इटली से आने वालों की स्क्रीनिंग में देरी
इटली से आए करीब 18 पर्यटक मार्च के महीने की शुरुआत में कोरोना से संक्रमित पाए गए थे। वहीं इटली से आए एक अन्य शख्स जिसकी वजह से भी कुछ लोगों में कोरोना फैला था। उन दिनों एयरपोर्ट पर केवल चीन, ईरान, दक्षिण कोरिया जैसे देशो से आने वाले विदेशियों की स्क्रीनिंग होती थी। परंतु उस समय धीरे-धीरे संक्रमण इटली में भी बढ़ने लगा पर सरकार ने इटली को स्क्रीनिंग में शामिल नहीं किया । खुद स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने यह माना है कि जब इटली से लौटे शख्स से कोरोना फैलने का पता चला तब जा कर हर देश से आने वालों की स्क्रीनिंग शुरू कर दी गई।
निजामुद्दीन जमात मैं जमातियों का जमावड़ा
दिल्ली के निजामुद्दीन में 18 मार्च को मरकज में तबलीगी जमात के लोगों का एक कार्यक्रम हुआ था। भारत में लॉकडाउन 24 मार्च को लागू किया गया था। परंतु स्कूल, मॉल, सिनेमाघर और पब्लिक कार्यक्रमो पर रोक पहले ही लगा दी थी । 18 मार्च को हुए कार्यक्रम में 3000 से भी अधिक लोग शामिल हुए थे। हैरानी कि बात ये है कि निजामुद्दीन थाना मरकज के बिल्कुल पास ही है। लेकिन पुलिस ने कुछ नहीं किया। कार्यक्रम खत्म हो जाने के बाद जब मरकज को खाली करवाया गया तो 2300 लोग वहां से निकाले गए। ये सब पुलिस की लापरवाही का ही नतीजा है। आज भारत में 1000 से ज्यादा मामले जमातियों के ही है ।
लॉकडाउन बिना किसी तैयारी के कर दिया
सरकार ने जो लॉकडाउन का फैसला किया वो बिलकुल सही था। पूरी दुनिया ने ये माना की कोरोना वायरस के संक्रमण की चेन को तोड़ने में लॉकडाउन बहुत ही प्रभावी रहा है। चीन ने तो पूरी तरह लॉकडाउन कर कोरोना पर बहुत अच्छे तरीके से कंट्रोल किया। मोदी सरकार ने लॉकडाउन का फैसला सरप्राइज की तरह लागू किया। एक बार हर राज्य के मुख्यमंत्री से बात कर सुरक्षा के इंतज़ाम और साथ लोगों की परेशानियां दूर करने की भी सलाह दी जाती।
लॉकडाउन के कारण सब कुछ एक दम बंद हो गया। मजदूरी करने वालो कि तो आमदनी बंद हो गई और लोग भूखे-प्यासे रहने पर मजबूर हो गए। जिस कारण लोग पैदल ही अपने घरो कि तरफ चल दिए। दिल्ली-गाजियाबाद सीमा पर भारी भीड़ जमा हो गई थी। ये सब देखने के बाद सरकार द्वारा उनके रहने की व्यवस्था, खाने-पीने की व्यवस्था और मकान मालिकों से किराया ना वसूलने के लिए कहा गया, ये सब थोड़ा पहले हो जाता है, तो कोई परेशानी नहीं होती।
अब तक पर्याप्त व्यवस्था में टेस्टिंग नहीं
भारत इस समय करोना टेस्टिंग में बहुत पिछे है। यहाँ केवल विदेश से आए लोगो और ऐसे शख्स जो कोरोना पॉजिटिव मरीज कि आस-पास या सीधे संपर्क में आया हो।
ऐसे लोगों की भी कुछ जगहों पर जांच हो रही है, जिनमें सर्दी, जुकाम या सांस लेने की तकलीफ जैसे लक्षण दिख रहे हैं। इस वक्त बड़े लेवल पर टेस्टिंग की जरूरत है। सबसे बड़ी चुनौती है भारत की आबादी है। क्योंकि इसके लक्षण दिखने में 7-14 दिन लग सकते हैं और कुछ लोगों में इसके लक्षण दिखते ही नहीं और वह बीमार होकर ठीक भी हो जाते हैं। लेकिन हो सकता है कि इस बीच वह दूसरों को संक्रमित कर चुके हों।दक्षिण कोरिया ने सिर्फ टेस्टिंग के दम पर ही कोरोना पर काबू पा लिया।